Friday, September 16, 2016
Thursday, September 15, 2016
Tuesday, September 13, 2016
hindi swar vanjan kavitha
वर्णमाला - भाग-१ स्वर ज्ञान
वर्णमाला - स्वर ज्ञानअ अनार और आ से आम
हमे तो बस खाने से काम
इ इमली और ई से ईख
बच्चो यह सब लेना सीख
उ उल्लू और ऊ से ऊँट
बच्चो कभी न बोलना झूठ
ऋ ऋषि तपस्या मे रत
बच्चो इनको कहते स्वर
ए एडी और ऐ से ऐनक
बच्चे करते कितनी रौनक
ओ ओखल , औ से औजार
बच्चो करना सबसे प्यार
अं अंगूर और अ: है खाली
पियो रोज इक दूध की प्याली
वर्णमाला-भाग २-व्यंजन
प्यारे बच्चो ,कल मैने आपको हिन्दी का पहला पाठ स्वर ज्ञान पढाया था ,याद है न वर्णमाला-भाग १ अच्छे से याद कर लिया न आपने ,मै सुनने भी आऊँगी आज से शुरु करते है दूसरा पाठ ,मतलब व्यंजन तो यह पढो दूसरा पाठवर्णमाला-व्यंजन
2.
क कबूतर ख खरगोश
पियो दूध आएगा जोश
ग गमला और घ से घोडा
घोडा दुम दबा के दौडा
ङ् खाली पर आधा अक्षर
बच्चो पूरा हुआ क-वर्ग
3.
च चरखा और छ से छाता
मेरी माँ को सब कुछ आता
बच्चो नही किसी से डरना
ञ् खाली पर आधा अक्षर
बच्चो पूरा हुआ च-वर्ग
वर्णमाला- व्यंजन भाग ३
वर्णमाला- व्यंजन भाग ३प्यारे बच्चो पूरी उम्मीद है कि आपको पहले तीन पाठ स्वर ,क-वर्ग और च-वर्ग अच्छे से याद हो गए होंगे अब सीखते है आगे के दो पाठ यानी ट-वर्ग और त-वर्ग
पाठ.4
ट टमाटर ठ से ठेला
चलो देखने चलेंगे मेला
ड डमरू और ढ से ढोल
बोलो बच्चो मीठे बोल
ण् खाली पर पूरा अक्षर ( जैसे:- कण )
बच्चो इसको कहते ट-वर्ग
पाठ .5
त तरबूज और थ से थालीतोता बैठा पेड़ की डाली
द दही और ध से धान
बच्चो इनको लो पहचान
न से नल का पानी हर घर
बच्चो इसको कहते त-वर्ग
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वर्णमाला-व्यंजन पाठ ६,७,८
प्यारे बच्चो ,अभी तक आपने सीखा स्वर और व्यंजन में क-वर्ग ,च-वर्ग ,ट-वर्ग ,त-वर्ग अब सीखते है इससे आगे पाठ ६ , ७ और ८ प-वर्ग ,अन्तस्थ और ऊष्म तो आओ मेरे साथ........
पाठ ६
प पक्षी और फ से फल
खाओ फल आएगा बल
ब बन्दर और भ से भालु
आओ बच्चो तुम्हे दिखा लूँ
म मछली है जल के अन्दर
बच्चों इसको कहते प-वर्ग
पाठ 7
य युवक और र से रथ
बच्चो काभी न लाना स्वार्थ
ल लैम्प और व से वस्त्र
बच्चो सीख लो यह अक्षर
पाठ 8.
श शेर और ष षटकोण
बच्चो क्यो बैठे हो मौन
स सेब और ह से हाथ
बच्चो सब मिल रहना साथ
Monday, September 12, 2016
Monday, August 29, 2016
Saturday, April 9, 2016
Thursday, March 24, 2016
गर्मियों में एक दम रामबाण जैसा काम करता है मठ्ठा
दही से बनने वाला यह पेय काफी सारे पौष्टिक गुणों से भरा हुआ है। दूध में गुड़ मिला कर पीने के ऐसे फायदे नहीं जानते होंगे आप आयुर्वेद में तो यहां तक कहा गया है कि जो व्यक्ति भोजन के बाद एक गिलास मठ्ठा पीता है उसे पेट से जुड़े रोग नहीं होते। अगर आपको दही खाना पसंद नहीं है तो, मठ्ठा तो जरुर पसंद आएगा क्योंकि यह स्वाद में खट्टा होता है और इसमें अगर काला नमक, जीरा और हींग आदि मसाले मिला लिये जाएं तो यह और भी चटकीला हो जाता है।
गर्मियों में ठंडक पहुंचाए खीरे का पानी, जानें और भी फायदे गर्मी के कारण अगर पेट खराब हो गया हो तो मठ्ठे में मिश्री, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है। साथ ही इसको पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है
Friday, February 19, 2016
వ్రాసేనైపుణ్యాన్ని ఆనందకరమైన కృత్యాలతో అభివృద్ధిచేయడం
వ్రాసేనైపుణ్యాన్ని ఆనందకరమైన కృత్యాలతో అభివృద్ధిచేయడం
Resource Info
ప్రాథమిక సమాచారం
Thursday, February 18, 2016
Saturday, February 13, 2016
Sunday, January 31, 2016
Jan 30
🙏 हिन्दी मेरी पहचान है 🙏
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या
स्थान नई दिल्ली
तिथि 30 जनवरी 1948
लक्ष्य मोहनदास करमचंद गांधी
हथियार अर्ध - स्वचालित पिस्तौल (बैरेटा)
मृत्यु 1 (गान्धी)
घायल कोई नहीं
अपराधी नाथूराम गोडसे
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी। वे रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे। 30 जनवरी 1948 की शाम को जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियाँ दाग दीं। उस समय गान्धी अपने अनुचरों से घिरे हुए थे।
इस मुकदमे में नाथूराम गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया था। इन आठ लोगों में से तीन आरोपियों शंकर किस्तैया, दिगम्बर बड़गे, वीर सावरकर, में से दिगम्बर बड़गे को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया। शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय में अपील करने पर माफ कर दिया गया। वीर सावरकर के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म से मुक्त कर दिया। बाद में सावरकर के निधन पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।
सावरकर पर सरकार द्वारा जारी डाक टिकट
और अन्त में बचे पाँच अभियुक्तों में से तीन - गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ तथा दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फाँसी दे दी गयी।
🙏हिन्दी मेरी पहचान है 🙏
🌹जयशंकर प्रसाद 🌹
(३० जनवरी १८८९ - १४ जनवरी १९३७) हिन्दी कवि, नाटकार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई।
आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में इनके कृतित्व का गौरव अक्षुण्ण है। वे एक युगप्रवर्तक लेखक थे जिन्होंने एक ही साथ कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में हिंदी को गौरव करने लायक कृतियाँ दीं। कवि के रूप में वे निराला, पन्त, महादेवी के साथ छायावाद के चौथे स्तंभ के रूप में प्रतिष्ठित हुए है; नाटक लेखन में भारतेंदु के बाद वे एक अलग धारा बहाने वाले युगप्रवर्तक नाटककार रहे जिनके नाटक आज भी पाठक चाव से पढते हैं। इसके अलावा कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में भी उन्होंने कई यादगार कृतियाँ दीं। विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करूणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन। ४८ वर्षो के छोटे से जीवन में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाएं की।
उन्हें 'कामायनी' पर मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्राप्त हुआ था। उन्होंने जीवन में कभी साहित्य को अर्जन का माध्यम नहीं बनाया, अपितु वे साधना समझकर ही साहित्य की रचना करते रहे। कुल मिलाकर ऐसी विविध प्रतिभा का साहित्यकार हिंदी में कम ही मिलेगा जिसने साहित्य के सभी अंगों को अपनी कृतियों से समृद्ध किया हो।
जीवन परिचय
प्रसाद जी का जन्म माघ शुक्ल 10, संवत् 1889 वि. में काशी के सरायगोवर्धन में हुआ। इनके पितामह बाबू शिवरतन साहू दान देने में प्रसिद्ध थे और इनके पिता बाबू देवीप्रसाद जी कलाकारों का आदर करने के लिये विख्यात थे। इनका काशी में बड़ा सम्मान था और काशी की जनता काशीनरेश के बाद 'हर हर महादेव' से बाबू देवीप्रसाद का ही स्वागत करती थी। किशोरावस्था के पूर्व ही माता और बड़े भाई का देहावसान हो जाने के कारण १७ वर्ष की उम्र में ही प्रसाद जी पर आपदाओं का पहाड़ टूट पड़ा। कच्ची गृहस्थी, घर में सहारे के रूप में केवल विधवा भाभी, कुटुबिंयों, परिवार से संबद्ध अन्य लोगों का संपत्ति हड़पने का षड्यंत्र, इन सबका सामना उन्होंने धीरता और गंभीरता के साथ किया। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी मे क्वींस कालेज में हुई, किंतु बाद में घर पर इनकी शिक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया, जहाँ संस्कृत, हिंदी, उर्दू, तथा फारसी का अध्ययन इन्होंने किया। दीनबंधु ब्रह्मचारी जैसे विद्वान् इनके संस्कृत के अध्यापक थे। इनके गुरुओं में 'रसमय सिद्ध' की भी चर्चा की जाती है।
घर के वातावरण के कारण साहित्य और कला के प्रति उनमें प्रारंभ से ही रुचि थी और कहा जाता है कि नौ वर्ष की उम्र में ही उन्होंने 'कलाधर' के नाम से व्रजभाषा में एक सवैया लिखकर 'रसमय सिद्ध' को दिखाया था। उन्होंने वेद, इतिहास, पुराण तथा साहित्य शास्त्र का अत्यंत गंभीर अध्ययन किया था। वे बाग-बगीचे तथा भोजन बनाने के शौकीन थे और शतरंज के खिलाड़ी भी थे। वे नियमित व्यायाम करनेवाले, सात्विक खान पान एवं गंभीर प्रकृति के व्यक्ति थे। वे नागरीप्रचारिणी सभा के उपाध्यक्ष भी थे। क्षय रोग से जनवरी 14, 1937 (उम्र 47) को उनका देहांत काशी में हुआ।
कृतियाँ
प्रसाद जी के जीवनकाल में ऐसे साहित्यकार काशी में वर्तमान थे जिन्होंने अपनी कृतियों द्वारा हिंदी साहित्य की श्रीवृद्धि की। उनके बीच रहकर प्रसाद ने भी अनन्य गौरवशाली साहित्य की सृष्टि की। कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक ओर निबंध, साहित्य की प्राय: सभी विधाओं में उन्होंने ऐतिहासिक महत्व की रचनाएँ कीं तथा खड़ी बोली की श्रीसंपदा को महान् और मौलिक दान से समृद्ध किया। कालक्रम से प्रकाशित उनकी कृतियाँ ये हैं :
उर्वशी (चंपू) ; सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य (निबंध); शोकोच्छवास (कविता); प्रेमराज्य (क) ; सज्जन (एकांक), कल्याणी परिणय (एकाकीं); छाया (कहानीसंग्रह); कानन कुसुम (काव्य); करुणालय (गीतिकाव्य); प्रेमपथिक (काव्य); प्रायश्चित (एकांकी); महाराणा का महत्व (काव्य); राजश्री (नाटक) चित्राधार (इसमे उनकी 20 वर्ष तक की ही रचनाएँ हैं)। झरना (काव्य); विशाख (नाटक); अजातशत्रु (नाटक); कामना (नाटक), आँसू (काव्य), जनमेजय का नागयज्ञ (नाटक); प्रतिध्वनि (कहानी संग्रह); स्कंदगुप्त (नाटक); एक घूँट (एकांकी); अकाशदीप (कहानी संग्रह); ध्रुवस्वामिनी (नाटक); तितली (उपन्यास); लहर (काव्य संग्रह); इंद्रजाल (कहानीसंग्रह); कामायनी (महाकाव्य); इरावती (अधूरा उपन्यास)। प्रसाद संगीत (नाटकों में आए हुए गीत)।
काव्य
कानन कुसुम
महाराणा का महत्व
झरना
आंसू
लहर
कामायनी
प्रेम पथिक
नाटक
स्कंदगुप्त
चंद्रगुप्त
ध्रुवस्वामिनी
🌻🌻🌻प्रकाश 🌻🌻🌻
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